2021 में 1,18,979 पुरुषों ने आत्महत्या की, आत्महत्या करने वाला हर चौथा व्यक्ति दिहाड़ी मजदूर था

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2021 में देश में आत्महत्या करने वाला हर चौथा व्यक्ति दिहाड़ी मजदूर था ….यह चौकाने वाला खुलासा कल NCRB द्वारा दिए गए आंकड़ों से हुआ है ये आंकड़े बताते हैं कि 2021 में 1,18,979 पुरुषों ने आत्महत्या की, जिनमें से 37,751 दिहाड़ी मजदूर, 18,803 स्वरोजगार से जुड़े लोग और 11,724 बेरोजगार शामिल थे।’
स्वतंत्र रूप से सोचने वाला हर व्यक्ति जानता था कि नोटबंदी और बेहद जल्दबाजी में लाई गई जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा, रही सही कसर मूर्खता पूर्ण ढंग से किए गए तीन महीनो के लॉक डाउन ने पूरी कर दी इसका नतीजा नीचे आपके सामने है
नोटबंदी के बाद हर क्षेत्र में अनायास आई मंदी से सब कुछ बिगड़ गया……. इकनॉमी ट्रैक से उतर गई ….कल-कारखाने ठप्प होने से लाखों लोग उस दौरान बेरोजगार हो गए हैं, हर छोटी बड़ी दुकान, छोटे और मध्यम श्रेणी के उद्योग धंधों के व्यापार में 60 प्रतिशत की कमी आई
नोटबंदी से ही हालात खराब होना शुरू हो गए थे,भावी आशंकाओं को देखते हुये छोटी-बड़ी सभी उत्पादक ईकाइयां ,आई टी कम्पनिया यथासंभव मजदूर एवं कर्मचारी कम करने की योजनाएं बनाने लगे, औद्योगिक जगत भी कम उत्पादन, छंटनी और तालाबंदी का शिकार हुआ और कोराना के बाद किए गए लॉक डाउन से करोड़ो मजदूर शहर छोड़कर गांवों की ओर लौटने को मजबूर हुए हैं, जहां पहले से ही काम की तंगी थी
नतीजा ये हुआ कि दिहाड़ी मजदूरो की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई, जो कही नौकरी कर रहे थे वे या तो बेरोजगार हुए या दिहाड़ी मजदूर बने…… उनके लिए भी जीवन यापन करना बेहद मुश्किल हो गया
अब आते है इस डेटा के एक और महत्वपूर्ण पहलू पर 2021 में 18 हजार,803 स्वरोजगार से जुड़े लोगो ने आत्महत्या की है
दरअसल नोटबंदी जीएसटी और लॉक डाउन का सम्मिलित असर संगठित क्षेत्र पर न पड़कर असंगठित क्षेत्र, किसानों और हमारे व्यापार ओर छोटे मझौले काम धंधो पर पड़ा
नोटबंदी के बाद जीएसटी से असंगठित क्षेत्र को बहुत बड़ा धक्का लगा था आपको याद तो नही होगा इसलिए आपको याद दिला देता हूं कि उत्तराखंड के हल्द्वानी में कारोबारी प्रकाश पांडे ने सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में , मोदी सरकार के नोटबंदी और जीएसटी से परेशान होकर जहर खा लिया था यह लॉक डाउन के पहले की घटना है, प्रकाश पांडे ने कंपनी से तीन ट्रक फाइनेंस करवाए थे। जो उसने हल्द्वानी में गोला खनन और अन्य कामों में लगाए थे। वर्ष 2016 के बरसात, खनन पर रोक और नोटबंदी से कारोबार में भारी घाटा हुआ। जिस कारण वह अगस्त 2016 से ट्रकों की किश्त नहीं दे पाया
वीडियो में प्रकाश पांडे ने ये भी कहा कि वह पिछले छह माह से अपनी दो बच्चों की फीस भी नहीं दे पा रहा था
जो लोग जैसे तैसे नोटबंदी और जीएसटी से उबरे उनके लिए कोराना लॉक डाउन काल बनकर आया……
नोट बंदी को छह साल पूरे होने वाले है न कही काला धन पकड़ाया है न बड़े धन्ना सेठो पर कार्यवाही हुई है…. यानि खाया पिया कुछ नही ओर गिलास फोड़ा बारह आना
ऐसे मूर्खतापूर्ण कार्य करने के बावजूद प्रोपेगंडा के शिकार लोग आपको वोट तो अवश्य दे रहे है मोदी जी, लेकिन इतिहास आपको कभी माफ नही करेगा
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