नई दिल्ली: सरकार ने सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनी नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड (NINL) को 12,100 करोड़ रुपये में टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड को बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इसके तहत टाटा लॉन्ग प्रोडक्ट्स, नीलाचल इस्पात में 93.71 प्रतिशत इक्विटी हासिल करने में सक्षम होगी.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एक वैकल्पिक तंत्र, जिसमें परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं, ने इस बोली को अनुमति दे दी है.
नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड सार्वजनिक क्षेत्र की चार कंपनियों- खनिज एवं धातु व्यापार निगम लिमिटेड राष्ट्रीय खनिज विकास निगम भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड और मेकॉन तथा ओडिशा सरकार की दो कंपनियों- ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन और इंडस्ट्रियल प्रमोशन एंड इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ ओडिशा लिमिटेड का संयुक्त उद्यम है.
एनआईएनएल में एमएमटीसी की 49.78 प्रतिशत, ओडिशा माइनिंग कॉरपोरेशन की 20.47 प्रतिशत, आईपीआईसीओएल की 12 प्रतिशत, एनएमडीसी 10.10 प्रतिशत तथा मेकॉन और भेल की 0.68-0.68 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.
जनवरी 2020 में केंद्र की मोदी सरकार ने नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड की रणनीतिक बिक्री को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी थी.
एनआईएनएल का ओडिशा के कलिंगनगर में 11 लाख टन की क्षमता वाला एकीकृत इस्पात संयंत्र है. कंपनी भारी घाटे में चल रही है और यह संयंत्र 30 मार्च, 2020 से बंद है.
जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड के गठजोड़ और नलवा स्टील एंड पावर लिमिटेड, जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड और टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स लिमिटेड (टीएसएलपी) ने एनआईएनएल को खरीदने के लिए वित्तीय बोली लगाई थी.
इसमें टीएसएलपी सबसे बड़ी बोलीदाता बनकर उभरी थी. टीएसएलपी को आशय पत्र (LOI) जारी किया जा रहा है.
एयर इंडिया के बाद नरेंद्र मोदी सरकार का यह दूसरा निजीकरण समझौता होगा. इसे पूरे होने में हालांकि दो महीने लगेंगे. टाटा समूह ने हाल ही में एयर इंडिया को 18,000 करोड़ रुपये में खरीदा है.
सरकार की कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं है, इसलिए बिक्री से होने वाली आय राजकोष में जमा नहीं होगी और इसके बजाय यह चार केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों समेत ओडिशा सरकार की दो कंपनियों के पास जाएगी.
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा, सरकार ने ओडिशा में स्थित नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड के लिए रणनीतिक खरीददार को मंजूरी दे दी है. टाटा स्टील लॉन्ग प्रोडक्ट्स द्वारा 12,100 करोड़ रुपये की उच्चतम बोली स्वीकार की जाती है.
Government approves strategic buyer for Neelachal Ispat Nigam Ltd located in Odisha. The highest bid of Rs12,100 crore by M /s Tata Steel Long Products Ltd is accepted https://t.co/RDfByvp682 pic.twitter.com/b7IHrO11om
— Secretary, DIPAM (@SecyDIPAM) January 31, 2022
गौरतलब है कि एनआईएनएल पर 31 मार्च, 2021 तक 6,600 करोड़ रुपये का कर्ज और देनदारियां हैं. इसमें प्रवर्तकों दिए जाने वाले 4,116 करोड़ रुपये और बैंकों की 1,741 करोड़ रुपये की देनदारी शामिल है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात निर्माण उद्यम के निजीकरण का यह पहला उदाहरण है. मंत्रालय ने इसे लेन-देन की सफलता को सभी के लिए एक जीत की स्थिति के रूप में करार दिया.
मंत्रालय ने कहा, ‘निजीकरण का सबसे बड़ा लाभ क्षेत्र की स्थानीय अर्थव्यवस्था को होगा, क्योंकि रणनीतिक खरीददार एक बंद संयंत्र को पुनर्जीवित करने, आधुनिक तकनीक लाने, सर्वोत्तम प्रबंधकीय प्रथाओं को लाने और नई पूंजी का संचार करने में सक्षम होगा, जो संयंत्र की क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा.
मंत्रिमंडल ने नवंबर 2020 में शिपिंग कॉरपोरेशन और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के रणनीतिक विनिवेश को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी. हालांकि, महामारी के कारण इन योजनाओं में देरी हुई.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के अपने बजट भाषण में कहा था कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL), एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, बीईएमएल लिमिटेड, पवन हंस, नीलाचल इस्पात निगम लिमिटेड सहित कई विनिवेश कार्यक्रम 2021-22 में पूरे हो जाएंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021-22 में सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (PSE ) नीति पेश करते हुए कहा था कि चार रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों की सरकारी कंपनियों का विनिवेश किया जाएगा. यह नीति रणनीतिक और गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में विनिवेश की स्पष्ट रूपरेखा पेश करेगी.
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