मोरबी पुल हादसे पर एक बड़ा खुलासा हुआ है। जिस ओरेवा कंपनी को मेंटेनेंस का ठेका दिया गया था उसने सिर्फ 6% अमाउंट खर्च किया था यानी 94% अमाउंट का घोटाला कर लिया था। जांच में पता चला कि दो करोड़ की राशि मुहैया कराई गई थी मगर इस कंपनी ने मरम्मत पर सिर्फ 12 लाख रुपए खर्च किए थे।
इतने बड़े और घातक घोटाले पर खुलासा होने के बावजूद मीडिया की चुप्पी हैरान करने वाली है। साफ पता चल रहा है कि गुजरात की भाजपा सरकार और कंपनी के मालिक के बीच की सरकार को छुपाने की कोशिश की जा रही है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार रवीश कुमार ट्विटर पर लिखते हैं- “मोरबी पुल के टूटने से 140 लोग मर गए। यह ख़बर घोटाले को भी उजागर करती है, फिर भी जयसुख पटेल के ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं होती है।
इसके दोषी तेजस्वी और अखिलेश यादव हैं, अगर दोनों ने जयसुख पटेल को अपना करीबी घोषित कर दिया होता तो गोदी मीडिया ED और बुलडोज़र लेकर तुरंत पहुँच चुका होता।”
दरअसल मार्च 2022 में मोरबी नगर निगम और ओरेवा समूह की अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के बीच 15 साल का करार हुआ था यानी इस कंपनी के जिम्मे ये पुल 2037 तक था।
मगर पुल का उद्घाटन होने के हफ्ते भर के अंदर ही ये हादसा हो गया और 100 से ज्यादा लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
अब सवाल उठ रहे हैं कि अंग्रेजों के जमाने के बने इस पुल की मेंटेनेंस के लिए सिर्फ 6% राशि क्यों खर्च की गई।
तमाम मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए यह बात सामने आ चुकी है कि पुराने जंग लगे केबल और नट बोल्ट के सहारे ही पुल का फिर से उदघाटन कर दिया गया था।
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