प्रेससवार्ता : पिछले दिनों देश की सत्ताधारी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने पैग़म्बर-ए-इस्लाम जनाब मुह़म्मद रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर आपत्तिजनक और अशोभनीय टिप्पणी की, इसने देश के सभी मुसलमानों को सख़्त तकलीफ़ पहुंचायी और वैश्विक स्तर पर भी इसके कारण देश की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची, इस पृष्ठभूमि में ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को पार्टी से निलंबित करना निश्चित रुप से अच्छी बात है लेकिन यह पर्याप्त नहीं है, यह बात आवश्यक है कि ऐसे कुकृत्य करने वालों को कठोर दण्ड दिया जाए,
उनके विरुद्ध क़ानूनी कार्यवाही की जाए और ऐसा क़ानून बनाया जाए जो विभिन्न धर्मों के पवित्र व्यक्तित्वों (आस्था के प्रतीकों) के अपमान को निन्दनीय अपराध घोषित करता हो और उस पर तत्काल और उचित क़ानूनी कार्यवाही हो सके। मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी साहब महासचिव बोर्ड ने इन विचारों को व्यक्त करते हुए ईशनिंदा (गुस्ताख़ान-ए-रिसालत) के विरुद्ध प्रदर्शन को जायज़ और स्वाभाविक कहा और उनको ख़िराज-ए-तहसीन पेश किया, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तरप्रदेश में प्रदर्शन करने वालों के विरुद्ध जिस प्रकार एकतरफ़ा और भेदभावपूर्ण कार्यवाही की जा रही है वह बेहद अफ़सोसनाक और निन्दनीय है।
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