दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। खाद्य सामग्री महंगी होने से रसोई का बजट बिगड़ गया है। बाजार से मिल रही जानकारी के अनुसार करीब एक महीने के अंदर हर एक सामान पर तीस से चालीस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
इस मंहगाई को देखते हुए छोटे से बड़े हर कोई परेशान है इस परेशानी को देखते हुए सोशल एक्टिविस्ट अमित मिश्रा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा एक गलत प्रधानमंत्री चुनने की गलती की सजा आज पूरा देश भुगत रहा है।
एक गलत प्रधानमंत्री चुनने की गलती की सजा आज पूरा देश भुगत रहा है।
— Amit Mishra (@Amitjanhit) April 6, 2022
इस मंहगाई पर दुकानदारों का कहना है कि एक महीने में दर्ज की गई महंगाई के कारण बाजार से ग्राहक गायब है। गेहूं की कटनी, ऊपर से महंगाई बाजार सुना पड़ा है। पवित्र रमजान होने के बावजूद रोजेदार अच्छी तरह से खरीदारी नहीं कर पा रहें है। आम आदमी की जेबें ढीली हो गई है। जरूरत में भी कटौती कर लोग सामान खरीद रहें हैं। इस साल रमजान लेकर भी बाजारों में अधिक रौनक नहीं है। सरसों का तेल, डालडा, रिफाइंड के भाव पिछले 10-15 दिनों के अंदर आसमान पर पहुंच गये हैं। महंगाई की रफ्तार ने गरीब और मध्यमवर्ग का बजट बिगाड़ दिया है। डीजल-पेट्रोल की बढ़ रही कीमते बाजार पर दिख रही है और रसोई गैस ने किचेन का जायका बिगाड़ कर रख दिया है। ऐसा हो भी क्यों नहीं, क्योंकि बाजार तो हर चीजों से सजा पड़ा है, लेकिन खरीदारी करने वाले बाजार से नदारद हैं। महंगाई की मार व बाजारवाद इस कदर हावी होता जा रहा है कि लोग सिर्फ जरूरी चीजें वो भी कम मात्रा में हीं खरीद रहें हैं।
दुकानदारों कहना है कि इस बार महंगाई की मार से हर कोई त्रस्त नजर आ रहा है। महंगाई के चलते खरीदारों की संख्या कम होने से दुकानदार परेशान हैं। ऐसी स्थिति सिर्फ किराना दुकानों की नही बल्कि किताब, मिठाई, फल, दूध, सरिया, कपड़ा, सब्जी हर चीज महंगी है।
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