नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर का निर्माण किया जा रहा है, उस पर एक बार फिर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ब्यान जारी कर के कहा कि शरीयत की रोशनी में, एक बार जब एक मस्जिद स्थापित हो जाती है, तो वह प्रलय के दिन तक के लिए मस्जिद बन जाती है। इसलिए, बाबरी मस्जिद कल भी एक मस्जिद थी, और आज भी एक मस्जिद है और भविष्य में मस्जिद रहेगी, ईश्वर की इच्छा है। मस्जिद में मूर्तियों को रखने, पूजा पाठ शुरू करने या लंबे समय तक प्रार्थना पर प्रतिबंध लगाने से मस्जिद की स्थिति समाप्त नहीं हो सकती है।
#BabriMasjid was and will always be a Masjid. #HagiaSophia is a great example for us. Usurpation of the land by an unjust, oppressive, shameful and majority appeasing judgment can't change it's status. No need to be heartbroken. Situations don't last forever.#ItsPolitics pic.twitter.com/nTOig7Mjx6
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) August 4, 2020
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव हज़रत मौलाना मुहम्मद वली रहमानी ने एक प्रेस बयान में कहा कि यह हमेशा से हमारी स्थिति रही है कि बाबरी मस्जिद किसी भी मंदिर या किसी हिंदू पूजा स्थल को ध्वस्त करके नहीं बनाई गई थी।
अल्हमदुलिल्लाह, सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले (2019) में हमारी स्थिति की पुष्टि की है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि बाबरी मस्जिद के तहत खुदाई में मिली कलाकृतियाँ बाबरी मस्जिद के निर्माण से 400 साल पहले 7 वीं शताब्दी की इमारत की थीं, इसलिए किसी मस्जिद के लिए रास्ता बनाने के लिए किसी मंदिर को नहीं गिराया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि 22 दिसंबर, 1949 की रात तक बाबरी मस्जिद में नमाज़ का आयोजन किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि 22 दिसंबर, 1949 को प्रतिमाओं की नियुक्ति एक अवैध और असंवैधानिक कृत्य था। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद की शहादत एक अवैध, असंवैधानिक और आपराधिक कृत्य था। दुर्भाग्य से, इन सभी स्पष्ट तथ्यों को स्वीकार करने के बावजूद, अदालत ने एक बहुत ही अनुचित निर्णय लिया है।
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