सब मौन है लोगों को लगता है मौन रहकर वो जिंदा रह लेंगे लेकिन भूल है जिसने कभी विरोध नहीं किया आखिर मौत ने उसे भी नहीं छोड़ा

गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप हुआ। यह केस कई दिनों तक चर्चा बना रहा। बिलकिस बानो ने न्याय के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। आखिर 2008 में 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा दी गई। स्वतंत्रता दिवस पर बिलकिस बानों के रेपिस्ट्स जेल से रिहा कर दिए गए। दोषियों के जेल से रिहा होने के बाद यह केस एक बार फिर गरमा गया है। बिलकिस का रेप करने वालों को सजा सुनाने वाले जज भी दोषियों की रिहाई से हैरान हैं। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) यूडी साल्वी ने कहा, ‘जो पीड़ित है वह इसे बेहतर जानता है।’

इस मामले को लेकर एक्टिविस्ट सुनीता सिद्धार्थ का एक लेख सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है जिसमें वह लिखती हैं सब मौन है लोगों को लगता है मौन रहकर वो जिंदा रह लेंगे लेकिन भूल है जिसने कभी विरोध नहीं किया आखिर मौत ने उसे भी नहीं छोड़ा तो क्यों ना गलत का विरोध कर शान की मौत मरा जाय।
गुजरात 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो से गैंगरेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या में सज़ा काट रहे सभी 11 अभियुक्त रिहा कर दिए गए हैं।
ऐसे लोगों को रिहाई मिलनी चाहिए थी? क्या ऐसे लोग बाहर आकर समाज को दूषित नहीं करेंगे? ऐसे जघन्य अपराधियों को देखकर दुसरे क्या सीख लेंगे कि कुछ भी अपराध करो कुछ नहीं होता? हम कहाँ जा रहे हैं????
नोट- मेरा सवाल इस्लाम के ठेकेदारो से भी है जो धर्म के नाम पर खून खराबे पर उतर आते हैं। देखना है इस मामले में वो कितना विरोध जताते है या मौन रहकर सरकार के फैसले को सहमति देते हैं।

बता दें की गुजरात सरकार के पैनल ने दोषियों की सजा में छूट वाले आवेदन को मंजूरी दे दी। 11 दोषियों को सोमवार को जेल से रिहा कर दिया। यह केस मुंबई सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट में चला था। तत्कालीन विशेष न्यायाधीश जस्टिस साल्वी ने बिल्किस की गवाही को साहसी बताते हुए पुरुषों को दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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