आर्थिक मंदी, महंगाई, बेरोज़गारी, अमीरों और ग़रीबों के बीच बढ़ता फ़ासला – चिंता का विषय : राहुल से बोले पूर्व RBI गवर्नर : वीडियो

जयपुर । राजस्थान के सवाई माधोपुर में (In Sawai Madhopur, Rajasthan) बुधवार को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में (In Rahul Gandhi’s Bharat Jodo Yatra) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर (Former RBI Governor) और अर्थशास्त्री (Economist) रघुराम राजन (Raghuram Rajan) भी शामिल हुए (Also Joined) और राहुल गांधी के साथ (With Rahul Gandhi) कदमताल की (Step of) । रघुराम राजन मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की कई बार आलोचना कर चुके हैं । राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा 4 दिसंबर से जारी है। राहुल गांधी के साथ राजस्थान कांग्रेस के कई सीनियर नेता भी इस दौरान यात्रा में शामिल हैं।

भारत जोड़ो यात्रा में में शामिल होने से पहले अर्थशास्त्री एन रघुराम राजन की राहुल गांधी के साथ काफी लंबी बातचीत हुई आर्थिक मंदी, महंगाई, बेरोज़गारी, अमीरों और ग़रीबों के बीच बढ़ता फ़ासला – चिंता का विषय है ज़रूर सुनिए पूर्व RBI गवर्नर डा.रघुराम राजन और श्री राहुल गांधी के बीच एक विशेष संवाद

इसके बाद वह पदयात्रा में शामिल हुए। डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में ही रघुराम राजन को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का गवर्नर बनाया गया था। मोदी सरकार में उन्होंने पद छोड़ दिया था। इसके बाद राजन आर्थिक मुद्दों पर बेबाक राय रखते हुए कई बार केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ शामिल होने की एक तस्वीर शेयर करते हुए कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, “श्री रघुराम राजन, आरबीआई के पूर्व गवर्नर, @RahulGandhi जी के साथ … नफरत के खिलाफ देश को एकजुट करने के लिए लोगों की बढ़ती संख्या दिखाती है कि हम सफल होंगे।” वहीं भारत जोड़ो यात्रा की ओर से रघुराम राजन के स्वागत का ट्वीट किया गया।

रघुराम राजन फिलहाल शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में फाइनांस के विशिष्ट सेवा प्रोफेसर हैं। वह पहले भी यहां पढ़ा चुके हैं। साल 2003 और 2006 के बीच वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में मुख्य अर्थशास्त्री और शोध निदेशक के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने 4 सितंबर, 2013 को भारतीय रिजर्व बैंक के 23वें गवर्नर के रूप में पद संभाला था। इससे पहले भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी रहे थे। उन्होंने कई किताबें भी लिखी हैं।

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