जम्मू और कश्मीर में हिंदुओं की टारगेट किलिंग के बढ़ते मामलों के बीच घाटी से एक तिहाई प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का पलायन हो चुका है इसी साल मार्च में आई फिल्म द कश्मीर फाइल्स में 90 के दशक में हुए कश्मीरी पंडितों के पलायन का दर्द दिखाया गया था। कश्मीर में 32 साल बाद फिर वही नजारा है। आतंकियों द्वारा हिंदुओं की टारगेटेड किलिंग से कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ कश्मीरी हिंदुओं का पलायन शुरू हो गया है। अब तक 80 प्रतिशत लोग कश्मीर छोड़कर जम्मू शिफ्ट हो गए हैं।
घाटी में प्रधानमंत्री पैकेज और अनुसूचित जाति जैसी श्रेणियों में करीब 5,900 हिंदू कर्मचारी हैं। इनमें 1,100 ट्रांजिट कैंपों के आवास में, जबकि 4,700 निजी आवासों में रह रहे हैं। पाबंदियों के बावजूद निजी आवास और कैंप में रहने वाले कर्मचारियों में से 80 फीसदी कश्मीर छोड़कर जम्मू पहुंच गए हैं। अनंतनाग, बारामूला, श्रीनगर के कैंप के कई परिवार पुलिस-प्रशासन के पहरे के कारण नहीं निकल पा रहे हैं।
इसी खबर पर पर्तिकिर्या देते हुए वरिष्ठ पत्रकार रविश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा अगर आपने कोई फ़िल्म बनवाई है और नहीं चल रही है तो भारत सरकार और भाजपा से संपर्क करें। सरकार फ़िल्म के प्रमोशन में जी जान से लग जाती है। सात-आठ साल में जिन्हें समर्थक बनाया गया है, उनसे फ़िल्म की कमाई भी करवा दी जाएगी। समर्थक केवल महंगाई नहीं ढो रहे हैं बल्कि राजनीतिक फ़िल्मों की कमाई भी सुनिश्चित कर रहे हैं। बशर्ते फ़िल्म उनके हिसाब की हो। लेकिन यह ख़बर है, फ़िल्म नही।
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