रचना अग्रवाल
एक करोना वायरस के आगे 150 करोड़ की आबादी वाला चीन अपने ही घर में बंदी बन गया है, सारे रास्ते वीरान हो गए हैं, चीन के अध्यक्ष भूमिगत हो गए हैं।
एक सूक्ष्म सा जंतु और दुनिया को आंखे दिखाने वाला चीन एकदम शांत,भयभीत
केवल चीन ही क्यों?
हम जात-पांत, धर्म-भेद, वर्ण-भेद, ऊंंच -नीच, प्रांत-वाद के अहंकार से भरे हुए हैं।
यह गर्व, दादागिरी, पैसे की खुमारी और घमंड करोना ने मात्र एक झटके में उतार दिया, बिना किसी भी प्रकार का भेद रखे
इस संसार का कोई भी जीव इस प्रकृति के आगे बेबस है, लाचार है।
प्रकृति ने शायद यही संदेश दिया है
प्यार से रहो, जियो और जीने दो
अन्यथा सुनामी है, करोना है, दंगे हैं
लेकिन इसके बावजूद अगर जीना है तो प्यार, प्रेम भाईचारा, आपसी बंधुत्व, परोपकार, मर्यादा, संस्कार और सभ्यता इंसान होनी चाहिए
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