vani jayaram ने किस के खोफ से बदला लिया था अपना नाम, जिसका डर था वहीं, घर में मिली लाश

सिनेमा की दुनिया को एक और बड़ा झटका लगा है। दिग्‍गज सिंगर वाणी जयराम (vani jayaram ) अब इस दुनिया में नहीं हैं। चेन्‍नई में वाणी जयराम के घर से उनकी लाश मिली है।लेकिन इन सब के बीच आप को पता है की सिंगर वाणी जयराम ( vani jayaram ) का असली नाम क्या था और किस कारण उन्होंने ने अपना नाम बदल लिया दर असल तीन बार नेशनल फिल्‍म अवॉर्ड जीतने वाली वाणी जयराम (vani jayaram) का असली नाम कलैवनी था।साल 1969 में वाणी ने जयराम से शादी हुई और उनका नाम वाणी जयराम में बदल गया |

बताया जा रहा है कि उनके सिर पर चोट के भी निशान हैं। हालांकि, पुलिस ने अभी इस मामले में बहुत ज्‍यादा जानकारी नहीं दी है। वाणी जयराम का नाम इसी साल पद्म पुरस्‍कार के लिए चुना गया था। 78 साल की वाणी जयराम ने कन्‍नड़, तमिल, हिंदी, तेलुगू, मलयालम, मराठी समेत 19 भारतीय भाषाओं में 10 हजार से अध‍िक गाने गाए थे। इनमें से 339 गाने उन्‍होंने 100 हिंदी फिल्‍मों के लिए गाए। वाणी जयराम अपनी पहली हिंदी फिल्‍म ‘गुड्डी’ में अपने गीत ‘हमका मन की शक्‍त‍ि देना’ से भी मशहूर हो गई थीं। यह गाना आज भी बहुत से स्‍कूलों में सुबह की प्रार्थना है। महज 8 साल की उम्र में ऑल इंडिया रेडियो के लिए गाने वाली वाणी कभी भारतीय स्‍टेट बैंक में काम करती थीं।

तमिलनाडु के वेल्लोर में 30 नवंबर 1945 को पैदा हुईं वाणी छह बेटियों और तीन बेटों के परिवार में पांचवीं बेटी थीं। उनके माता-पिता दुरईसामी अयंगर और पद्मावती भी संगीत की दुनिया से जुड़े हुए थे। उन्‍होंने रंगा रामुनाजा अयंगर से क्‍लासिकल म्‍यूजिक की ट्रेनिंग ली थी। वाणी को भी बचपन से ही शास्‍त्रीय संगीत का प्रश‍िक्षण मिला। वाणी को बचपन से ही रेडियो सुनने का बड़ा शौक था और यहीं से उनका हिंदी गानों की ओर झुकाव बढ़ा।

बताया जाता है‍ कि बचपन में वह रेडियो सीलोन चैनल पर हिंदी गाने सुनती थीं और बाद में उन्‍हें गुनगुनाती रहती थीं। वाणी जब 8 साल की थीं, तब उन्‍होंने पहली बार ऑल इंडिया रेडियो, मद्रास में अपनी परफॉर्मेंस दी थी। मद्रास यूनिवर्सिटी के क्वीन मैरी कॉलेज से पढ़ाई पूरी करने के बाद वाणी जयराम ने कई साल तक भारतीय स्टेट बैंक के लिए भी चेन्‍नई और फिर हैदराबाद में काम किया।Vani Jairam Husband: वाणी जयराम की शादी भी एक ऐसे परिवार में हुई, जो संगीत को बहुत अहम‍ियत देती थी।

उनकी सास पद्मा स्वामीनाथन मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और कर्नाटक संगीत गायिका थीं। साल 1969 में वाणी ने जयराम से शादी की और उनका नाम वाणी जयराम हो गया। पति के साथ वाणी मुंबई आ गईं। तब वह बैंक में ही काम कर रही थीं। लेकिन पति जयराम ने वाणी को जब गाते हुए सुना तो उन्‍होंने जोर देकर वाणी को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ट्रेनिंग लेने के लिए राजी किया। वाणी ने इसके बाद पटियाला घराने के उस्ताद अब्दुल रहमान खान से दीक्षा ली। संगीत में रुचि बढ़ने के कारण वाणी ने इसके बाद बैंक की नौकरी छोड़ दी और प्रोफेशनल सिंगर बनने की राह पर निकल पड़ीं

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