इंडिगो एयरलाइन्स अपने 23531 कर्मचारियों में से 10% की छंटाई करेगी। इनमें पायलट्स और केबिन क्रू भी शामिल हैं। ग्लोबल आईटी फर्म कॉग्निजेंट का भारत में 18 हज़ार कर्मचारियों को निकालने की योजना है। भारत में इस कंपनी के 2 लाख कर्मचारी हैं।
IBM भी भारत में कुछ सौ कर्मचारियों को निकालेगी।
रिटेल सेक्टर को लॉकडाउन से 15.5 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। देश में 7 करोड़ रिटेलर्स हैं, जिनमें से 1.4 करोड़ ने अपनी दुकानों के शटर हमेशा गिरा दिए हैं।
रिटेल सेक्टर करीब 5 करोड़ लोगों का पेट भरता है। कारोबार ठप होने से 1 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है। लंबे समय से बंद शॉपिंग मॉल शायद अभी दो महीने और न खुलें। अकेले महाराष्ट्र में इस वजह से 50 लाख लोग सड़क पर आ गए हैं।
मार्च-अप्रैल में 12 करोड़ नौकरियां गई हैं। लगभग 4 करोड़ बच्चे डिग्री लेकर कैंपस से निकले हैं। नौकरी की उम्मीद के साथ, लेकिन मौके लगातार कम होते जा रहे हैं। 19 जुलाई की तारीख में देश के भीतर बेरोज़गारी की दर 8% के आसपास है। शहरों में करीब 10%.
नरेगा गांव में लोगों को काम नहीं दे पा रहा है। सिर्फ 35% को ही काम मिला है और वह भी 5 दिन के लिए। कहां मोदी सरकार 100 दिन की बात कर रही थी।
नरेगा को अर्थव्यवस्था के लिए बचाव का एकमात्र ज़रिया बताने वाले बड़े-बड़े दावे दम तोड़ चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है। पीटीआई की इस तस्वीर को देखिए। बिहार की बाढ़ में एक वृद्ध गैस की टंकी उठाए घर जा रहा है।
लॉकडाउन में पूरी दुनिया ने हमारे मज़दूरों की आत्मनिर्भरता देखी है। सरकार लगातार कहती रही है कि बेरोज़गार नौकरियों की उम्मीद न करें। भीख मांगें या कुछ भी करें।
हम लगातार बदहाल होते देश के बारे में सोचना नहीं चाहते। बात नहीं करना चाहते। या तो हम नाउम्मीद हो चुके हैं, या इस सकारात्मकता से लबरेज़ हैं कि मुश्किल वक़्त जल्दी निकल जायेगा।
हालांकि, इस रात की सहर होने में काफी वक़्त है। लेकिन सुबह की रोशनी में जब आंख खुलेगी तो तबाही के सिवा कुछ नहीं दिखेगा।
(ये लेख सौमित्रा रॉय के वॉल से लिया गया है)
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