नई दिल्ली : मोदी सरकार उद्योगपतियों को उपकृत करने के लिए बड़े बड़े शहरों के रेलवे स्टेशन ही उनके नाम करने का फ़ैसला कर लिया है।निजी कंपनियां रेलवे स्टेशन के ठेके लेने के लिए एक टांग पर तैयार खड़ी है क्योंकि उन्हें मुफ्त के भाव रेलवे स्टेशन से लगी जमीनो की लीज कम से कम 99 सालों के लिए मिल जाएगी। इसी कर्म में चार बड़े रेलवे स्टेशन की बोली मंजूर की गई है ग्वालियर (Gwalior), नागपुर (Nagpur), अमृतसर (Amritsar) और साबरमती (Sabarmati) रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए बोली मंगायी गई थी। इसे बीते 26 जून को खोला गया था, जिसमें कुल 32 बोलियां मिली थीं। इनमें से 29 बोली को रेलवे ने स्वीकार कर लिया है। जिनकी बोली स्वीकार की गई है, उनमें इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड, जीएमआर बिजनेस एंड कंसल्टेंसी एलएलपी और क्यूब कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग लिमिटेड जैसी कंपनियां शामिल हैं।
नवभारत टाइम्स के अनुसार रेल मंत्रालय की तरफ से स्टेशनों के निजीकरण के लिए बोली मंगाने वाला संगठन इंडियन रेलवे स्टेशन डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IRSDC) से मिली सूचना के मुताबिक RFQs (रिक्वेस्ट फॉर क्वॉलिफिकेशन) के 32 ऐप्लिकेशन में से 3 निरस्त हो गए। अब कुल 29 बोलियां बचीं हैं। यह बोली लगाने वाली कंपनी अब आगे चरण में हिस्सा लेंगी। रेलवे के मुताबिक नागपुर के लिए 6 बोली, ग्वालियर के लिए 8 बोली, अमृतसर के लिए 6 बोली जबकि साबरमति के लिए 9 बोली योग्य पाई गई हैं।
बोली में इन कंपनियों ने लिया हिस्सा
रेलवे स्टेशनों के निजीकरण की इस प्रक्रिया में इंफ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन लिमिटेड, जीएमआर बिजनेस एंड कंसल्टेंसी एलएलपी और क्यूब कंस्ट्रक्शन इंजीनियरिंग लिमिटेड के साथ साथ एंकोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स लिमिटेड, आईएसक्यू एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट्स, मॉन्टैक्लो लिमिटेड, जेकेबी इंफ्रास्ट्रक्चर और कल्याण टोल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को योग्य पाया गया है।
रेलवे अपने चुनिंदा स्टेशनों को हवाई अड्डे की तरह विकसित करना चाहता है, जिसे रेलोपोलिस नाम दिया गया है। इन स्टेशनों में रियल एस्टेट का हब भी विकसित किया जाएगा। वहां आवासीय फ्लैट तो होंगे ही, वहां मॉल और शैक्षणिक संस्थान भी बनाये जाएंगे।
इंडियन रेलवे स्टेशन डिवेलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड RLDA (Rail Land Development Authority) और IRCON की जॉइंट वेंचर कंपनी है, जिसमें वर्तमान में 50-50 फीसदी मालिकाना हक है । RITES के भी जल्द ही 24% इक्विटी के साथ एक अन्य प्रमोटर के रूप में शामिल होने की संभावना है । RITES और IRCON संयुक्त रूप से 50% इक्विटी धारण करेंगे।
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