नई दिल्ली. भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) के अधिकारी हिलाल अहमद राठेर (Hilal Ahmad Rather) का नाम इस वक्त कश्मीर (Kashmir) में सभी की जुबान पर है. दरअसल एयर कोमोडोर (Air Commodore) हिलाल ही भारतीय सेना के पहले पायलट हैं जिन्होंने राफेल लड़ाकू विमान पर उड़ान भरी है. सोमवार को फ्रांस से उड़ाने भरने वाली राफेल की पहली खेप को हिलाल ने ही विदा किया था. इसके अलावा वो राफेल विमान के विपनाइजेशन से भी जुड़े रहे हैं. हिलाल वर्तमान में फ्रांस में भारतीय एयरफोर्स के संबद्ध अधिकारी हैं.
भारतीय वायुसेना के इस अधिकारी के करियर विवरणों के अनुसार, दुनिया में यह सर्वश्रेष्ठ फ्लाइंग अधिकारी हैं. दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में एक मध्यम वर्गीय परिवार में पैदा हुए हिलाल के पिता दिवंगत मोहम्मद अब्दुल्लाह राथर जम्मू एवं कश्मीर के पुलिस विभाग से पुलिस उपाधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. हिलाल की तीन बहनें हैं और अपने माता-पिता के वह इकलौते पुत्र हैं.
हिलाल की पढ़ाई जम्मू जिले के नगरोटा कस्बे में सैनिक स्कूल में हुई. वह वायुसेना में 17 दिसंबर, 1988 को एक लड़ाकू पायलट के रूप में शामिल हुए. वह 1993 में फ्लाइट लेफ्टिनेंट बन गए, 2004 में विंग कमांडर, 2016 में ग्रुप कैप्टन और 2019 में एयर कोमोडोर बन गए. उन्होंने डिफेंस सर्विसिस स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) से स्नातक की पढ़ाई की. उन्होंने एयर वार कॉलेज (अमेरिका) से भी डिस्टिंक्शन के साथ डिग्री हासिल की. उन्होंने एलडीए में स्वार्ड ऑफ ऑनर जीता. हिलाल को वायुसेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुका है. मिराज-2000, मिग-21 और किरण विमानों पर 3,000 घंटों की दुर्घटनामुक्त उड़ानों के निष्कलंक रिकॉर्ड के साथ हिलाल का नाम अब भारत में राफेल के साथ हमेशा के लिए जुड़ जाएगा.
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