अंबानी दुनिया के पांचवे सबसे अमीर बन गए. भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले 60 साल के सबसे निचले स्तर पर चली गई.
इसके पहले 14 जुलाई को खबर आई थी कि अंबानी दुनिया के छठवें सबसे बड़े अमीर बन गए.मतलब मात्र एक हफ्ते में एक सीढ़ी छलांग लगा दी.
उसके पहले खबर आई थी कि भारतीय अर्थव्यवस्था 1961 के बाद सबसे निचले स्तर पर ग्रोथ करेगी.
क्या आप इस चमत्कार के बारे में कभी सोचते हैं? पूरे देश का धन और संशाधन एक व्यक्ति के पास कैसे इकट्ठा हो रहा है?
वैसे ‘न्यू इंडिया’ में चुनावी नारों में तो देश सबसे बड़ा है, लेकिन हकीकत में वह ‘बॉस’ सबसे बड़ा है, जो हमारे देश के प्रधानमंत्री की पीठ पर हंसते हुए हाथ रख देता है. कहते हैं कि बनाना रिपब्लिक में यही कॉरपोरेट के लोग असली ‘बॉस’ होते हैं.
मनमोहन सिंह के समय इन विषयों पर चर्चा होती थी. तब बनाना रिपब्लिक और क्रोनी कैप्टलिज्म चर्चा का सबसे बड़ा विषय था. आजकल राष्ट्रवादी सरकार है तो पूरा देश देशद्रोही और देशभक्त खोजने में मशगूल है. खजाने पर बैठे ‘ईमानदार’ चौकीदारों से कोई पूछ ही नहीं रहा है कि खजाना खाली कैसे हुआ जा रहा है?
हो सकता है कि अंबानी के अमीर होते जाने में कोई गैरकानूनी वजह न हो, लेकिन उस कानूनी वजह पर गौर करना चाहिए जो एक आदमी को अरबपति बनाकर सवा अरब लोगों की खटिया खड़ी कर देती है.
अभी-अभी खबर आई थी कि देश में कम से कम 12 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई. अब खबर आई है कि एक व्यक्ति रॉकेट की स्पीड से अमीर होता जा रहा है? अगर आपको इसमें कुछ गड़बड़ नहीं है तो सुबह शाम एक मंत्र जपिए: ‘फलाने हैं तो मुमकिन है’.
ये लेख कृष्णा कांत के वॉल से लिया गया है
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