मुझे समझ नही आता कि ऐसे घटिया प्रोग्राम को मीडिया द्वारा धर्म संसद की संज्ञा क्यो दी जा रही है ऐसी हेट स्पीच को ‘धर्म संसद’ के नाम से क्यो जोड़ा जा रहा है ?
कोई आदमी किसी प्रोग्राम को कोई नाम दे देता है आप वही नाम दोहरा रहे हैं ?
कल को किसी प्रोग्राम का नाम संविधान सभा रख दिया जाए और उसमे वक्ता आकर संविधान को भला बुरा कहे तो मीडिया क्या यह रिपोर्ट करेगा कि संविधान सभा मे भारत के संविधान की धज्जियां उड़ाई गई ?……..
ये कौन सा ”धर्म’ है यह कौन सी ‘संसद’ है दोनो पवित्र शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बना दिया गया है….. ओर उसके जरिए नफरत फैलाई जा रही हैं
बहुत से मित्र कह रहे हैं कि आपने इस विषय पर कुछ नही लिखा?……. दरअसल इस विषय पर कुछ भी लिख कर कुछ भी कहकर आप उन्ही के पक्ष को मजबूत कर रहे हो, कुछ मूर्खों का समूह पागल प्रलाप कर रहा है और हम उसे मुद्दा बना रहे हैं….अरे भाई !……दरअसल यही तो वो चाहते हैं, ………इसी चीज को तो वह डिस्कशन में लाना चाहते है, मनोविज्ञान में इसे रिपीट मेथड या रीइनफोर्समेंट मेथड कहते हैं। किसी बात को बार-बार दोहराना….वो बार बार एक ही बात दोहराएंगे….ताकि जवान होती पीढ़ी जिसे सही गलत का पता नहीं है उनके इस नफरती विचारधारा के पीछे चल पड़े……
हिन्दू मुस्लिम पोलोराइजेशन…..उनका अचूक ओर सबसे कारगर हथियार है
ध्यान दीजिए !…… वे इसे हर साल दोहराते है हर तीन महीने दोहराते है हर चुनाव के पहले दोहराते है क्योंकि उनके पास अपने काम बताने के लिए कुछ है ही नही…… कैसे न कैसे कर के वह मुसलमान को हर चीज में घसीट लेते हैं अपनी कमजोरियों को छुपाने के लिए बार बार नाथूराम गोडसे को हीरो बताने लगते हैं,…….
वो नाथूराम को मजबूत कर रहे हैं तो हमे गाँधी को मजबूती देनी होगी
याद कीजिए कि दो साल भी नही हुए हैं उन्होंने कोरोना जैसी एक बीमारी को मुस्लिम हेट का हथियार बना लिया,…….
आप क्या सोचते हैं आपके हल्ला मचाने से ऐसे लोग चुप हो जाएंगे…….वे जानते हैं कि उनका बाल भी बांका नही होगा, क्योकि सरकार का उन्हें प्रश्रय प्राप्त है….उनके पीछे एक पूरा तंत्र खड़ा है, पूरा ऑर्गेनाजेशन खड़ा है, यदि आपको उन्हें रोकना है तो पहले आपको भी ऑर्गेनाइज होना पड़ेगा……
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