भारत की हरनाज ने जीता मिस यूनिवर्स 2021 का खिताब

भारत की हरनाज़ संधू नई मिस यूनिवर्स घोषित हुई हैं। उनको 2020 की मिस यूनिवर्स मेक्सिको की एंड्रिया मेजा ने 70 वीं मिस यूनिवर्स का ताज पहनाया। इस समारोह का पूरी दुनिया में सीधा प्रसारण किया गया, जिसे करोड़ों लोगों ने टीवी पर लाइव देखा। सन 2000 में भारत की लारा दत्ता के बाद हरनाज ने यह खिताब जीता है। इस प्रतियोगिता में 80 देशों की प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था और भारत को 21 साल बाद इस प्रतियोगिता में जीत हासिल हुई है। इजराइल के इलियट शहर में रविवार को आयोजित प्रतियोगिता में 21 वर्षीय हरनाज को विजेता घोषित किया गया।

अभिनेत्री-मॉडल संधू से पहले सिर्फ दो भारतीय महिलाओं ने मिस यूनिवर्स का खिताब जीता है। अभिनेत्री सुष्मिता सेना को 1994 में और लारा दत्ता को 2000 में यह ताज पहनाया गया था। पराग्वे की नादिया फेरेरा (22) दूसरे स्थान पर रहीं, जबकि दक्षिण अफ्रीका की लालेला मसवाने (24) तीसरे स्थान पर रहीं।

चंडीगढ़ पंजाब की रहने वालीं अभिनेत्री-मॉडल हरनाज़ संधू लोक प्रशासन विषय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं। वह राजनीति और महामारी से प्रभावित इस प्रतियोगिता में लगभग 80 प्रतियोगियों में शीर्ष पर रहीं। शीर्ष तीन राउंड के अंत में प्रतियोगियों से पूछा गया था, आज के दबावों से निपटने के लिए युवा महिलाओं को आप क्या सलाह देंगी!

इस पर हरनाज ने कहा, “जिस सबसे बड़े दबाव का आज का युवा सामना कर रहा है, वह है खुद पर विश्वास करना। यह जानना कि आप अद्वितीय हैं, आपको खूबसूरत बनाता है। अपनी तुलना दूसरों से करना बंद करें और दुनिया भर में हो रही अधिक महत्वपूर्ण चीजों के बारे में बात करें। बाहर आओ, अपने लिए बोलो, क्योंकि तुम अपने जीवन के नेता हो। आप अपनी आवाज हो। मुझे खुद पर विश्वास था और इसलिए मैं आज यहां खड़ी हूं।

प्रतियोगिता में राष्ट्रीय वेशभूषा, शाम के गाउन और स्विमवीयर के पारंपरिक प्रदर्शन के साथ-साथ प्रतियोगियों का सार्वजनिक रूप से विचार व्यक्त करने के कौशल का परीक्षण करने के लिए सवाल-जवाब का राउंड भी होता है।

शीर्ष 5 में पहुंचने पर उनसे पूछा गया था, “कई लोग सोचते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक धोखा है, आप उन्हें समझाने के लिए क्या करेंगी?” इस पर भारत की हरनाज ने कहा कहा, “प्रकृति कितनी समस्याओं से गुजर रही है, यह देखकर मैं बहुत दुखी हो जाती हूं। यह सब हमारे गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार की वजह से है। मुझे पूरी तरह से यह लगता है कि यह समय काम करने का है, बात करने का नहीं। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारा हर कार्य प्रकृति को बचा सकता है या मार सकता है। पश्चाताप और मरम्मत से बेहतर है रोकथाम और रक्षा करना और यही मैं आज आप लोगों को समझाने की कोशिश कर रही हूं।

फ़िलिस्तीनियों के साथ इज़राइल के व्यवहार का विरोध करने के लिए जमीनी स्तर पर फिलिस्तीनी नेतृत्व ने प्रतियोगियों से इस कार्यक्रम को छोड़ने का आग्रह किया था। हालांकि केवल मलेशिया, जिसका फिलिस्तीनियों के साथ घनिष्ठ संबंध है, ने वैश्विक कोविड-19 का हवाला देते हुए अपने देश की प्रतियोगी को नहीं भेजा।

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