मोदी सरकार ने गंगा की सफाई पर 13,000 करोड़ रुपए खर्च किए लेकिन गंगा की हालत जैसी की तैसी

भारत सरकार ने गंगा नदी की सफाई के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन- एनएमसीजी (The National Mission For Clean Ganga -NMCG) की शुरुआत की थी.आज से 8 साल पहले शुरू किए गए गंगा को साफ करने के इस मिशन को तय किया गया मियाद से 5 साल आगे बढ़ा दिया गया है, लेकिन गंगा आज भी बिलख रही है,दरअसल गंगा का ये जिक्र हम अचानक ही नहीं कर रहे हैं. 30 दिसंबर शुक्रवार को राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक इसकी एक वजह है. इसमें नमामि गंगे पहल को लेकर कई खुलासे हुए और गंगा को साफ करने की कोशिशों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया.. इस बैठक में सबसे बड़ी बात निकल कर सामने आई कि सरकार साल 2014 से लेकर अब तक गंगा की सफाई पर 13000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुकी है. इसमें सबसे अधिक खर्चा उत्तर प्रदेश को दिया गया.

सरकार के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम को अमलीजामा पहनाने के लिए जवाबदेह राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन- एनएमसीजी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय गंगा परिषद को इस कार्यक्रम में साल 2014 से अब-तक हुए खर्चे के बारे में जानकारी दी. दरअसल सरकार ने गंगा और उसकी सहायक नदियों का “कायाकल्प” करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक की अवधि के लिए 2014-15 में नमामि गंगे की शुरुआत की थी. हालांकि बाद में इस कार्यक्रम को 31 मार्च, 2026 तक 5 साल के लिए और बढ़ा दिया गया था.

जानकारी के मुताबिक केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2014-15 से 31 अक्टूबर, 2022 तक एनएमसीजी को कुल 13,709.72 करोड़ रुपये जारी किए हैं. एनएमसीजी ने 13,046.81 करोड़ रुपये की इस रकम में से अधिकांश राज्य सरकारों, स्वच्छ गंगा राज्य मिशनों (एसएमसीजी) और इस कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अन्य एजेंसियों को खर्च के लिए जारी किए थे. इसमें सबसे अधिक रुपये नदियों को सफाई के लिए उत्तर प्रदेश को दिए गए.

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