मुकेश अंबानी दुनिया के छठे नंबर के अमीर हो गए ये खबर तो सभी को मालुम हो गयी लेकिन यही मुकेश अम्बानी आज टॉप 10 से भी बाहर हो गए ये किसी ने बताया आपको ? ऐसा क्यों हुआ इसका भी एक कारण है, रिलायंस की पिछली सालाना आम बैठक में कहा गया था कि सऊदी अरामको आरआईएल के तेल-गैस कारोबार में 20 फीसदी हिस्सेदारी लेना चाहती है। इस बातकी पिछले साल बहुत चर्चा भी हुई थे लेकिन इस AGM में अंबानी ने इस डील में देर होने की बात की उन्होंने कहा कि ‘ऊर्जा बाजार में अप्रत्याशित हालात और कोविड-19 के कारण यह सौदा मूल समयसीमा के अनुसार आगे नहीं बढ़ पाया। हमारी इक्विटी जरूरतें पहले ही पूरी हो चुकी हैं।’ इसी कारण से शेयर बाजार में उथल पुथल मच गयी और अम्बानी की सम्पत्ति घट गयी
यानि सौदा भी खटाई में पड़ गया है लेकिन क्या वास्तविकता वही है जो मुकेश अम्बानी ने बताई थी यहाँ मुकेश अम्बानी असली बात छुपा गए। ……दरअसल पिछले साल दिसम्बर में दिल्ली हाईकोर्ट ने रिलायंस और ब्रिटिश गैस से संपत्तियों की जानकारी मांगी थी। ………
सरकार ने पन्ना-मुक्ता और ताप्ती (पीएमटी) फील्ड में रिलायंस और ब्रिटिश गैस कंपनी से जुड़े 30 हजार करोड़ रुपए (अमेरिकी करेंसी में 4.5 अरब डॉलर) के भुगतान विवाद को लेकर हाईकोर्ट में केस किया था यह लड़ाई आर्बिट्रेशन अवॉर्ड की रकम पाने की है क्योंकि 1994 में हुआ यह कॉन्ट्रैक्ट अब खत्म हो चुका है। सरकार 2010 से आर्बिट्रेशन अवॉर्ड के लिए लड़ रही है। सरकार के मुताबिक रिलायंस और ब्रिटिश गैस ने प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन कर काफी रकम अपने पास रख ली। 2016 में ट्रिब्यूनल ने सरकार के पक्ष में फैसला दिया। सरकार ने दोनों पर 3.8 अरब डॉलर बकाया होने का आकलन किया था। ब्याज समेत यह रकम 4.5 अरब डॉलर हो चुकी है। रिलायंस और ब्रिटिश गैस से रकम नहीं मिलने की वजह से सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
सरकार की ओर के कोर्ट में दलील रखी गई कि रिलायंस इंडस्ट्रीज पर 2.88 लाख करोड़ रुपए का भारी भरकम कर्ज है। कर्ज चुकाने के लिए कंपनी संपत्तियों की बिक्री और ट्रांसफर जैसे रास्ते अपना रही है। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रही तो सरकार को आर्बिट्रेशन अवॉर्ड चुकाने के लिए कुछ नहीं बचेगा। केन्द्र सरकार ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका में इन दोनों कंपनियों को अपनी संपत्तियों नहीं बेचने का निर्देश देने का आग्रह किया है। सरकार इन दोनों कंपनियों को उनकी संपत्तियों को बेचने से दूर रहने का आदेश देने के लिए अदालत पहुंची थी इस मामले की अगली सुनवाई फरवरी में होनी थी लेकिन उसकी कोइ खबर नहीं आई। ……..
साफ़ है कि सऊदी अरामको इसी क़ानूनी विवाद के कारण से पीछे हट रही है लेकिन बिका हुआ मीडिया तो आपको यह बात बतलाने से रहा
Girish Malviya के वॉल से
जेजेपी न्यूज़ को आपकी ज़रूरत है ,हम एक गैर-लाभकारी संगठन हैं,इसे जारी रखने के लिए जितना हो सके सहयोग करें.