मुसलमानों को कांग्रेस ने भी ठुकराया ,बीजेपी के साथ कांग्रेस ने भी हिमाचल प्रदेश में नहीं उतारा एक भी मुस्लिम कैंडिडेट

नई दिल्ली :हमेशा बीजेपी पर ये आरोप लगता था की वह तुष्टिकरण की राजनीती करती आई है लेकिन अब कांग्रेस भी उसी रस्ते पर चल पड़ी है उसका एक उधारण हिमाचल परदेश में देखने को मिला 68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में बीजेपी, कांग्रेस सहित आप ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को चुनावी मैदान में नहीं उतारा है। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में मुस्लिम मंत्री बनना तो दूर अभी तक कोई मुस्लिम विधायक भी नहीं चुना गया है।

चाहे लोकसभा चुनाव हो, या फिर विधानसभा चुनाव की बात हो, मुस्लिम वोट बैंक पर सभी राजनैतिक पार्टियों की हमेशा से ही नजर बनी रहती है। लेकिन, हिमाचल में अभी तक कोई भी मुस्लिम विधायक नहीं बन पाया है। ऐसे में अब 2022 के विधानसभा चुनाव में भी मुस्लिम विधायक का चुना जाना संभव नहीं होगा।

ऐसा नहीं है कि हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम आबादी नहीं है, लेकिन फिर भी राजनैतिक पार्टियां चुनाव में मुस्लिम वोटरों पर भरोसा करने से डरते हुए नजर आतीं हैं। राजनैतिक विश्लेषण की बात मानें तो छोटे-छोटे कस्बों में होने की वजह से राजनैतिक पार्टियां मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देने से कतराती हैं।

2011 की जनगणना के अनुसार, हिमालच प्रदेश की कुल आबादी 68 लाख है, जिसमें 33.82 लाख महिलाएं हैं। हिमाचल में करीब डेढ़ लाख मुस्लिम आबादी है। हिमाचल प्रदेश में सबसे बड़ी जाति हिंदू ‘राजपूत’ हैं, जो कुल आबादी का 37 प्रतिशत है। जबकि, करीब 18 फीसदी ब्राहमण वोटर हैं। हैरानी वाली बात है कि सिख समुदाय की आबादी मुस्लिम आबादी से भी कम है। लेकिन, बावजूद इसके 2017 के विधानसभा चुनाव में एक सिख विधायक सदन तक पहुंचा था

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