दिल्ली हाईकोर्ट ने बिहार के मुस्लिम दंपती को पुलिस प्रोटेक्शन दिया है। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम लॉ के मुताबिक कोई नाबालिग लड़की जो यौवन (प्यूबर्टी एज) तक पहुंच चुकी है, वह माता-पिता की मर्जी के बिना शादी कर सकती है। साथ ही उसे अपने पति के साथ रहने का अधिकार भी है। दंपती ने इसी साल बिहार के ओरैया जिले में मुस्लिम रिवाजों के अनुसार शादी की थी।
जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने यह भी कहा कि जहां शादी के बाद ही फिजिकल रिलेशन बनाए जाते हैं, उन मामलों में POCSO एक्ट लागू नहीं होता।
जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने इस कपल को पुलिस सुरक्षा दी है। दंपती ने इसी साल ओरैया जिले में मुस्लिम रिवाजों के अनुसार शादी की थी। शादी के बाद दंपती ने कोर्ट से उन्हें सुरक्षा देने का निर्देश देने की मांग की थी। लड़की के परिवार ने इस शादी का विरोध किया था। इसके बाद लड़की के पति पर IPC की धारा 376 (बलात्कार) और POCSO एक्ट की धारा 6 के तहत केस दर्ज करवाया था।
लड़की के परिवार के मुताबिक शादी के वक्त लड़की की उम्र करीब 15 साल 5 महीने थी और शादी के बाद वह गर्भवती हो गई थी। जस्टिस सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता पति-पत्नी कानूनन शादीशुदा हैं। उन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। अगर दोनों को अलग किया तो यह लड़की और उसके होने वाले बच्चे के साथ अन्याय होगा।
हमारा उद्देश्य लड़की के हितों की रक्षा करना है। यदि उसने शादी के लिए सहमति दी है और वह खुश है, तो राज्य उसके निजी जीवन में दखल देने और उन्हें अलग करने वाला कोई नहीं है। ऐसा करना उसकी निजता पर अतिक्रमण करना होगा।
इस केस में सुनवाई के दौरान दुविधा की स्थिति भी बनी, जब जस्टिस सिंह के ही एक पूर्व फैसले से मौजूदा केस को काउंटर किया गया। दरअसल जस्टिस जसमीत सिंह ने एक आदेश में कहा था कि एक मुस्लिम व्यक्ति पर POCSO एक्ट के तहत एक नाबालिग लड़की के साथ यौन संबंध रखने का आरोप लगाया जा सकता है।
इस पर उन्होंने कहा कि दोनों मामले अलग हैं क्योंकि पिछले मामले में नाबालिग का शोषण हुआ था। आरोपी ने शादी के बिना ही यौन संबंध बनाए थे और बाद में पीड़ित से शादी करने से इनकार कर दिया था।
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