पिछले साल के दिसंबर महीने में हरिद्वार में एक धर्म संसद का आयोजन किया गया था। जिसमें मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ और हिंसा को उकसाने वाले बयान दिए गए थे। अब मुस्लिम संगठनों ने हरिद्वार धर्म संसद के विरोध में एक कार्यक्रम का ऐलान किया है जिसमें बड़ी संख्या में लोग इक्कठा होंगे। मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि हम शांति के लिए मरने को भी तैयार हैं।
मुस्लिम संगठन इत्तेहाद-ए-मिल्लत परिषद के संस्थापक ने उत्तर प्रदेश के मुसलमानों से आग्रह किया है कि वे शुक्रवार को सामूहिक बलिदान के लिए बड़ी संख्या में मैदान में इकट्ठा हों। प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मुस्लिम उलेमा तौकीर रजा खान ने कहा कि मुस्लिम समुदाय ने पहले भी इसी तरह की घटनाओं पर आपत्ति जताई थी। लेकिन वर्तमान सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तौकीर रजा खान ने कहा कि हमारे उलेमाओं ने तीन बैठकें की लेकिन हमने इसे कभी धर्म संसद नहीं कहा। हालिया धर्म संसद में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है, उसका इस्तेमाल हमारे उलेमा कभी नहीं कर सकते। हमारे उलेमा लोगों को शांति, देशभक्ति और प्रेम का मार्ग दिखाते हैं।
हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषण की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि यह वास्तव में शर्मनाक है कि भारत में कुछ लोग 20 लाख मुसलमानों को मारना चाहते हैं। हम इसके लिए तैयार हैं और सरकार मुसलमानों को मारने के लिए अपने लोगों को भेजे। साथ ही उन्होंने कहा कि 7 जनवरी को कम से कम 20,000 मुसलमान आत्मसमर्पण करेंगे क्योंकि भारत में शांति सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका मुसलमानों के लिए अपना जीवन बलिदान करना है।
बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार में 17 से लेकर 19 दिसंबर 2021 के बीच हिंदुत्ववादी नेताओं और कट्टरपंथियों द्वारा एक धर्म संसद का आयोजन किया गया। जिसमें मुसलमान एवं अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए गए और उनके नरसंहार तक का भी आह्वान किया गया था। धर्म संसद का वीडियो सामने आने के बाद एक एसआईटी भी बनाई गई है।
उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले में शत्रुता को बढ़ावा देने (153A) और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने (298) से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत दो एफआईआर दर्ज की है। इसमें 10 से अधिक लोगों का नाम शामिल है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भी मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर हरिद्वार धर्म संसद में मुस्लिम समाज के खिलाफ भड़काऊ बयान देने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई के लिए निर्देश देने की मांग की।
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