पालघर साधु हत्याकांड में सीआईडी ने चार्जशीट दायर कर दी है। CID ने कहा है कि साधुओं की हत्या बच्चा चोरी की अफवाहों की वजह से हुई है। घटना में कोई भी साम्प्रदायिक एंगल ढूंढना बेवजह है। 16 अप्रैल को 2 साधुओं और उनके ड्राइवर की हिंसक भीड़ ने पीट पीटकर हत्या कर दी थी।
अब वो एंकर्स कहाँ हैं जो कह रहे थे “साधुओं की हत्या के बाद क्या “हिन्दू” चुप बैठे रहेंगे? क्या हिंदुओं को इतना कायर कौम समझ रखा है।”
अब मेरा सवाल उन सब लोगों से है जो अर्नब गोस्वामी के खिलाफ FIR को गलत बात रहे थे, जिसमें एक बड़ा तबका लेफ्ट का भी था। क्या पत्रकार होने से आपको घृणा फैलाने का अधिकार मिल जाता है? इस घटना के बाद भाजपा, भाजपा और आरएसएस के पाले हुए एंकरों ने घृणा का जो माहौल बनाया था क्या अब उसका कम्पनसेशन सम्भव है? पालघर घटना के बाद इस बात को लगातार हाइलाइट किया गया कि जिनकी हत्या हुई है वे हिन्दू साधु थे। इसका सीधा सीधा इशारा इस तरफ था कि हत्या करने वाले जरूर ही मुसलमान थे। टीवी मीडिया द्वारा हिन्दू-मुस्लिम एंगल देने के बाद, बाकी का काम भाजपा नेताओं, प्रवक्ताओं और समर्थकों द्वारा कर दिया गया। लाखों मासूम हिंदुओं में घृणा फैलाने के लिए हजारों वीडियों बनाईं गईं, हजारों लोग लाइव आए, ग्राफिक्स बने, पिक्चर्स बनीं, झूठी अफवाह लिखी गईं, साधुओं का बदला लेने की बात कही गई। सवाल यही है कि करोङो लोगों में घृणा फैलाने वाले एंकरों, टीवी चैनलों, पार्टियों, प्रवक्ताओं द्वारा खुले में घृणा फैलाने के काम पर कबतक चुप रहा जाए चूंकि पूरी मशीनरी पर इनका कब्जा हो चुका है। अदालतें चुप हैं, पुलिस चुप है, व्यवस्था चुप है। फिर क्या विकल्प है? पालघर के बाद दंगों की स्थिति बनाने वाले, घृणा फैलाने वाले, झूठी अफवाह फैलाने वाले आरएसएस कार्यकर्ताओं, भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं पर कभी कोई कार्यवाई होगी?
क्या नफरत फैलाने वाले इन एंकरों के खिलाफ कार्यवाई होगी? या आप नागरिकों द्वारा कानून हाथ में लेने का इंतजार कर रहे हैं?
शयम मीरा सिंह
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