इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों पर चल रही छापेमारी अब खत्म हो चुकी है, लेकिन इसको लेकर सियासत अभी जारी है। इस छापेमारी में अब तक 195 करोड़ से ज्यादा नगदी और 6 करोड़ का सोना बरामद हुआ। बीजेपी का आरोप है कि पीयूष जैन के तार समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं, लेकिन विपक्षी दल इसको लेकर सरकार पर ही हमलावर हैं। अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर केंद्र और बीजेपी पर सवाल उठाए हैं।
ओवैसी ने कहा कि पीएम को जनता के सामने आकर ये बताना चाहिए कि नोटबंदी के बावजूद यूपी के एक कारोबारी के घर पर 270 करोड़ रुपये से ज्यादा की नगदी कैसे मिला है? इसके अलावा ये बात भी उन्हें माननी चाहिए कि नोटबंदी सिर्फ उनके दिमाग की उपज थी, जो पूरी तरह से फेल रही। इसने सिर्फ लघु उद्योगों और नौकरियों को खत्म किया है।
सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसियां इसे अब तक की सबसे बड़ी नगदी की रिकवरी मान रही हैं। मंगलवार को पीएम मोदी भी कानपुर में मेट्रो का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उस दौरान उन्होंने सपा पर तंज कसते हुए कहा कि नोटों से भरे डिब्बे मिले हैं, मैं सोच रहा था कि वो (सपा नेता) कहेंगे कि ये भी हमने किया। कानपुर के लोग व्यापार को अच्छी तरह समझते हैं। 2017 से पहले उन्होंने पूरे उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार की जो खुशबू बिखेरी थी, वो सबके सामने है लेकिन अब वो मुंह बंद करके बैठे हैं। वे नोटों के पहाड़ का श्रेय लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। यही उनकी उपलब्धि और वास्तविकता है। चाहे जो हो यूपी के लोग सब देख और समझ रहे हैं।
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने मामले में सफाई देते हुए कहा था कि पीयूष जैन का उनकी पार्टी से कोई लेना देना नहीं है। सरकार पुष्पराज जैन पर छापा मरवाना चाहती थी, लेकिन गलती से उसने अपने ही आदमी पीयूष जैन पर छापा मरवा दिया।
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