उत्तराखंड में पेपर लीक हुऐ, नौकरी को बेचा गया है क्या अब वहां ED छापे मरेगी और सीबीआई वहां जांच करने पहुंची :रवीश कुमार

उत्तराखंड में भर्ती घोटाले को लेकर चर्चा इस बात पर जोर शोर से हो रहि है की उत्तराखंड में CBI और ED क्यूं नहीं पहुंच रही है वहां के अस्तानिया अखबर इस खबर को परमुखता से दिखा और छाप रहे हैं लिकिन देश की बड़ी बड़ी मीडिया हाउस में इस खबर को लेकर कोई चर्चा क्यूं नहीं हो रहि है की उत्तराखंड में इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गाया, मंत्रियों के रिश्तेदारों को नौकरी कैस दी गई , जो लोग सरकार में हैं उसके रिश्तेदरों और आरएसएस के परचार्क के रिश्तेदारों को नौकरियां क्यूं कर दी गई , पेपर लीक हुऐ हैं नौकरी को बेचा गया है इन सब का खुलासा रवीश कुमार ने खबरो के कुछ कटिंग को शेयर कर के किया है

रवीश कुमार ने इस पर सवाल भी खड़े किए हैं रवीश कुमार ने पूछा है की उत्तराखंड विधानसभा भर्ती में बीजेपी मंत्रियों और आरएसएस परचारकों के रिश्तेदारों को नौकरी दी गई क्या अब वहां Ed छापे मरेगी और क्या सीबीआई वहां जांच करने पहुंची

दर असल रवीश कुमारने फेसबू पर लेख लिखा है रवीश कुमार ने ने लेख में कहा

सारी चर्चा एक आदमी नहीं करेगा। जो कर रहे हैं उन्हें भी चर्चा मानिए। उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों में घोटाला हुआ है तो वहाँ के स्थानीय अख़बार कवर कर रहे हैं। मैंने खुद देखा है कि कई अख़बारों में ठीक से कवर हुआ है। जब स्थानीय समाज का दबाव काम नहीं कर सकता तो इस मीडिया के बाद उस मीडिया में कवरेज कराने से काम नहीं करता है।

किसी भी सरकार को इतना संवेदनशील होना चाहिए कि हर ख़बर को गंभीरता से ले। कई लोगों ने लिखा कि नेशनल मीडिया कवर नहीं कर रहा। इसका जवाब ये है कि नेशनल मीडिया नाम की कोई चीज नहीं है। गोदी मीडिया है।

रवीश कुमार अपने एक दुसरे पोस्ट में लिखते हैं कि उत्तराखंड में भर्ती घोटोले की रिपोर्ट पढ़ रहा था। ख़बरों के अनुसार बीजेपी के मंत्री के रिश्तेदार और पीआरओ,आर एस एस के प्रचारकों के रिश्तेदारों को कथित रुप से नौकरियाँ दी गई हैं। बीजेपी के पूर्व स्पीकर की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं।

क्या ED छापे मारेगी? CBI जाएगी जाँच करने ?

बीजेपी के राज में हुए घोटाले के असर को कम करने के लिए इसे कांग्रेस के राज से चला आ रहा घोटाला बता कर सामान्य किया जा रहा है। बीजेपी सत्ता में इसी वादे के साथ आई कि कांग्रेस के राज में जो घोटाला हो रहा है, उसे पकड़ेंगे न कि वही करते रहेंगे।

समाज बंट गया है। जो बीजेपी के समर्थक हैं वो कभी नहीं पूछेंगे कि राष्ट्रवाद का क्या यही असर हुआ है कि बीजेपी और संघ के लोग जुगाड़ से अपनों की नौकरी दिला रहे हैं। असली परिवारवादी का खेल तो यहाँ हैं।

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