प्रधानमंत्री ने जैसे ही कहा कि 5 अगस्त को कुछ लोग काले कपड़े पहनकर काला जादू फैलाना चाहते थे। उन्हें लगता है कि काला कपड़ा पहनने से उनकी निराशा खत्म हो जाएगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने वाला है। इन लोगों को नहीं पता है कि कितना भी काला जादू कर लें, झाड़फूंक कर लें या अंधविश्वास कर लें, लोग उनपर भरोसा नहीं करेंगे।
इस खबर के सामने आने के बाद रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री पर अन्धविश्वास को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है रवीश कुमार ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा प्रधानमंत्री की इस बात की वैज्ञानिक आलोचना हो रही है कि अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन राजनीतिक आलोचना नहीं हो रही है। पूछा जाना चाहिए कि क्या प्रधानमंत्री किसी तांत्रिक के संपर्क में हैं? उन्हें किसने बताया कि कांग्रेस ने काला कपड़ा पहन कर काला जादू किया है? इस सवाल के उठाने भर से उन तांत्रिकों में खलबली मच जाएगी जो ऐसी बातों का दावा करते हैं !
अगर यह सवाल पूछा जाए कि प्रधानमंत्री जी आप काला जादू करते हैं? आप कौन सा जादू करते हैं? किस तांत्रिक के संपर्क में हैं, आप कैसे पकड़ लेते हैं कि काला कपड़ा पहन कर कोई काला जादू करने आ रहा है? तो जवाब दिलचस्प होगा।
भारत की राजनीति का बड़ा सच यह है कि इसके पीछे बड़ी संख्या में तांत्रिक और ज्योतिष सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। सत्ता के लिए कई नेता कई लाख की पूजा कराते हैं। यह राशि पचास लाख से एक या दो करोड़ तक होती है। राजनीति के अर्थशास्त्र का अध्ययन करने वाला कोई भी विद्वान जोकर है, अगर वह तंत्र और पूजा पर किए जाने वाले करोड़ों रुपये के ख़र्चे को नहीं जोड़ता हैं। जिस दिन चुनाव आयोग इस ख़र्चे को ट्रैक कर लेगा, उस दिन चुनावी ख़र्चे का एक गुप्त रहस्य सामने आ जाएगा। आप किसी भी नेता से पूछ लीजिए। मेरे हिसाब से प्रधानमंत्री का यह बयान तांत्रिकों के दो ख़ेमे की लड़ाई का नतीजा है! वैज्ञानिक चेतना के प्रसार से उनकी सरकार का कोई संबंध होता तो जिस वक्त लोग कोरोना से मर रहे थे उस वक्त उनके दो मंत्री रामदेव की टिकिया लाँच करने नहीं जाते।
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