वाशिंगटन (सुमरा परवेज़ ) दुनिया भर में धार्मिक स्वतंत्रता पर नज़र रखने वाली अमरीकी संस्था ” यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ़्रीडम (USCIRF) ने एक बार फिर भारत को लेकर चिंता जताई है इस से पहले (USCIRF) ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा था कि भारत उन देशों में शामिल है जहां धार्मिक अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न लगातार बढ़ रहा है.
वहीं अब उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट में लिखा है “USCIRF भारत में हुए चर्च पर हमले के लिए चिंतित हैं तथा उनका कहना है कि भारत में धर्म को लेकर आज़ादी (#ReligiousFreedom) गंभीर खतरे में है।
USCIRF is alarmed by recent attacks against churches in India. #ReligiousFreedom in #India is at serious risk. https://t.co/QdzAyQv945
— USCIRF (@USCIRF) June 25, 2020
दरअसल (USCIRF) का ये बयान धनबाद में हुए चर्च पर हमले को लेकर सामने आया है बता दें कि “22 जून को धनबाद जिले के बेलागाड़ियां टाउनशिप में कुछ स्थानीय लोगों तथा ईसाई नेताओं के बीच झगड़ा हो गया था।जिसके बाद विवाद बढ़ने पर स्थानीय लोगों ने एक चर्च को क्षतिग्रस्त किया तथा क्रॉस को नष्ट कर दिया था ।हंगामा करने वाले लोगों में सिंदरी विधानसभा के भाजपा के सदस्य इंद्रजीत महतो और पार्टी कार्यकर्ता शामिल थे।
विश्व हिंदू परिषद के कुछ नेता भी आरोपियों के साथ शामिल थे।जमशेदपुर धर्म प्रांत के पूर्व प्रशासक फादर ऑगस्टीन टोपनो UCA न्यूज़ को बताया कि “स्थानीय लोगों और ईसाई नेताओं के बीच हंगामा हुआ था जिसके बाद ये घटना हुई थी ।
स्थानीय लोगों ने दावा किया कि बेलगड़िया में लंबे समय से धर्मांतरण हो रहा था और दो दर्जन से अधिक परिवार ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गये हैं।”परंतु फादर का कहना है कि विधायकों तथा स्थानीय लोगों द्वारा लगाएं सभी आरोप निराधार हैं, चर्च धार्मिक रूपांतरण में विश्वास नहीं करता”।
दो युवा इसाई धर्म के प्रशिक्षक, काइना बंसल तथा सुशांत प्रधान हंगामे के दौरान चर्च पहुंचे। स्थानीय लोगों ने उनके साथ बहस शुरू कर दी तथा उनसे क्रॉस छोड़ने के लिए कहा जिस पर उन्होंने इनकार कर दिया बाद में पुलिस ने दोनों युवकों को हिरासत में ले लिया और उनसे धर्मांतरण के बारे में पूछताछ की थी ।
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