RTI में बड़ा खुलासा : योगी सरकार में महिलाओ के उत्पीडन के मामले अखिलेश की तुलना में सात गुना बढ़े

लखनऊ : यूपी को जाने किसकी नजर लग गई है.राज्य में क्राइम के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति लागू है. लेकिन अपराधी बेलगाम हैं, क्रिमिनल बेखौफ होकर एक के बाद एक वारदात अंजाम दे रहे हैं. गोरखपुर में एक परिवार के आंसू नहीं थम रहे तो इधर कानपुर में एक महीने से एक परिवार खून के आंसू रो रहा है. यूपी के जंगलराज में इन दोनों परिवारों के चिराग बुझ गए हैं. प्रियंका गांधी ने यूपी की तुलना जंगलराज से की है तो अखिलेश यादव का आरोप है कि यूपी में सरकार अब बीजेपी के हाथों से निकलकर अपराधियों के हाथों में चली गई है.

तो वही आरटीआई में बड़ा खुलासा हुआ है आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार योगी सरकार में कानून व्यवस्था पर सवाल खडे गए हैं सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा ने आरटीआई के तहत समाजवादी पार्टी के शासनकाल और भाजपा शासनकाल मे हुए आंकडै हासिल किए हैं। ये आंकडे सपा शासनकाल के 16 मार्च 2012 से लेकर 15 मार्च 2017 तक के हैं वही भाजपा सरकार में 16 मार्च 2018 से लेकर 30 जून 2018 तक के अपराधों का विवरण हैं।

आरटीआई के तहत मिली इस जानकारी की बात करे तो अखिलेश यादव की सरकार के दौरान यूपी में 2012-17 तक के समय में दहेज हत्या के 11449 मामले, बलात्कार के 13981 मामले अपहरण के 48048 मामले, छेडखानी के 4874 मामले, महिला उत्पीडन के 51,027 मामले और पॉक्सो एक्ट के 13727 मामले दर्ज हुए थे। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सपा सरकार में हर रोज रेप औसतन 7 केस दर्ज होते थे, वर्तमान मे ये आंकडा 52 तक पहु़च गया हैं।

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