नई दिल्लीः जॉर्डन और मिश्र के बॉर्डर पर सऊदी अरब एक शहर बसाने जा रहा है। इसका नाम है- NEOM, जो कि हॉलीवुड की किसी साइंस फिक्शन फिल्म की तरह होगा। सपनों के इस शहर में रोबोट सर्विस देंगे, हवा में कारें चलेंगी, यहां विंड पावर और सोलर एनर्जी से बिजली मिलेगी। शहर में फ्लाइंग टैक्सी होंगी और यहां केवल बिल्डिंगें ही नहीं बनेंगी बल्कि इस शहर का अपना चांद और अपने बादल भी होंगे, जो कि असलियत में बरसेंगे। इस शहर पर करीब 500 अरब डॉलर का खर्च आएगा।
साल 2017 के दौरान रियाद में ‘फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव’ प्रोग्राम में सऊदी अरब ने NEOM सिटी की घोषणा की थी। इस मौके पर रोबोटिक्स फर्म बोस्टन डायनेमिक्स के सीईओ मार्क रॉयबर्ट ने कहा, ‘महानगरों में रोबोट को सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल किया जा
किया जा सकता है। सिक्योरिटी, लॉजिस्टिक्स, होम डिलिवरी, बुजुर्गों और बीमारों की देखाभाल जैसे काम रोबोट आसानी से कर सकते हैं। मार्क ने ये सब बातें इसलिए की थीं, क्योंकि NEOM में ये सब करने का एक बड़ा प्लान तैयार किया है। 500 अरब डॉलर का प्लान, इतना पैसा जो कि दुनिया में अब तक किसी शहर को बसाने के लिए खर्च नहीं किया गया है।
सऊदी अरब सपनों के जिस शहर को बसाने की तैयारी कर रहा है, उसकी राह में मुश्किलें भी कम नहीं हैं। सबसे पहले मुश्किल तो यह है कि जिस हाई टेक्नोलॉजी के दम पर वह रोबोट, कृत्रिम चांद, कृत्रिम बादल बनाने की सोच रहा है, वह कितने सुरक्षित रहेंगे, इसे लेकर अभी विशेषज्ञ सहमत नहीं हैं। दूसरी सबसे बड़ी समस्या सऊदी अरब के सामने है कि ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट की, जो कि पश्चिमी देशों की टॉप कंपनीज से अपील कर रहे हैं कि वे सऊदी अरब के प्रोजेक्ट में हाथ न डालें। 2018 में जब से सऊदी अरब पर वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के दाग लगे हैं, तब से अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर सऊदी अरब की बहुत बदनामी हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जिस तरह से दुबई, दोहा और कतर में सुरक्षा को लेकर माहौल है, क्या सऊदी अरब अपनी इमेज वैसी बना पाएगा।
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