शाहनवाज़ नाज़मी
आज से कुछ समय पूर्व भारतीय मुसलमान आया सोफिया के मस्जिद में बदले जाने पर खुशियां मना रहे थे और आज वही मुसलमान भारत में बाबरी मस्जिद की जगह राम मंदिर के निर्माण से काफी दुखी हैं ।ये ऊपर वाले का करिश्मा है ,इतिहास ऐसे ही बनता है ,बदलता है और आगे की ओर बढ़ता रहता है ।
बाबरी मस्जिद का मामला उसी दिन साफ हो गया था जिस दिन सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने फैसला दिया था कि सबूत और ऐतिहासिक तथ्य बाबरी मस्जिद के पक्ष में थे और इसका विध्वंस एक “आपराधिक कृत्य” था। उसके बावजूद फैसला मंदिर के हक़ में आया था।
बाबरी मस्जिद के इतिहास और इसके विभिन्न ऐतिहासिक और राजनीतिक चरणों पर चर्चा
करने की अब ज़रूरत नहीं रही, लेकिन फैसले के बाद भारत के राजनीतिक और सामाजिक मूल भाव में असाधारण बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
5 अगस्त को भूमि पूजन के दिन के रूप में रखना भाजपा और संघ परिवार का बहुत बड़ा गेमप्लान था ये लोगे इतने खुश थे ,कि मारे ख़ुशी भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने इस दिन को भूमि पूजन के लिए चुनने का कारण भी बता दिया ,उन्होंने कहा था 5 अगस्त को भूमि पूजन इस लिए रखा गया है कि उसी दिन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की पहली वर्षगांठ है और हम इस दिन राम मंदिर की स्थापना करके इसकी प्रशंसा करना चाहते हैं। यह सच था और इससे भी अधिक सच यह था कि भाजपा ने इस दिन को भूमिपूजन और शिलान्यास के लिए इस लिए चुना था क्योंकि वह मीडिया को पूरी तरह से इस में व्यस्त रखना चाहते थे। और इसमें कामयाब भी रहे। सभी गोदी मीडिया को देख लें कहीं किसी कोने में भी पिछले एक साल से कश्मीरियों पर टूट रहे क़यामत का कोई ज़िक्र नहीं , अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में भी नहीं। हर जगह अयोध्या और राम मंदिर का जय जय कार हो रही है।
इस मामले में कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान हुआ, क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से पता था कि बाबरी मस्जिद के खंडहर पर राम मंदिर के निर्माण का सारा खेल इसके और इसके घटिया मानसिकता वाले नेताओं द्वारा रचा गया था। लेकिन जब यह खेल अपने चर्म पर पहुंच चुका ,तो उसे लगने लगा कि हाथ मलने के अलावा कुछ नहीं मिलेगा। यही कारण है कि कांग्रेस के कुछ कदावर नेता अपमानजनक ब्यान देकर सोशल मीडिया पर अपनी प्रोफाइल बदल कर और अपनी दिल की बेचैनी और अपनी असलियत ब्यान करते नज़र आये। राम मंदिर के निर्माण का सारा श्रेय भाजपा और संघ को जाता देख इंदिरा, राजीव और नरसिम्हा राव जैसे नेताओं की भी आत्मा ताव खा रही होगी।
अब जब राम मंदिर की औपचारिक नींव रखी जा चुकी है , तो इसका निर्माण अगले दो से पांच वर्षों में पूरा हो ही जाएगा। इस मंदिर के कारण, अयोध्या को जिस लेवल का शहर बनाने की बात की जा रही है तो इस देश में किसी भी सत्तारूढ़ दल से ऐसी अपेक्षा करना बेकार है, लेकिन हाँ! इस देश के राजनीतिक केनवस पर भाजपा की उपस्थिति में वर्षों की वृद्धि की निश्चित रूप से भविष्यवाणी की जा सकती है। देश की वर्तमान स्थिति और पूरे भारत के गांव गांव में जिस तरह से अयोध्या के मामले का जश्न मनाया गया उसे देखते हुए, यह अनुमान लगाने में कुछ भी गलत नहीं होगा कि कम से कम 2 या 3 टर्म और भाजपा का कार्यकाल उसी के पक्ष में रिज़र्व हो सकता है।
(ये उनके अपने विचार हैं )
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