जम्मू और कश्मीर में हिंदुओं की टारगेट किलिंग के बढ़ते मामलों के बीच घाटी से एक तिहाई प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का पलायन हो चुका है इसी साल मार्च में आई फिल्म द कश्मीर फाइल्स में 90 के दशक में हुए कश्मीरी पंडितों के पलायन का दर्द दिखाया गया था। कश्मीर में 32 साल बाद फिर वही नजारा है। आतंकियों द्वारा हिंदुओं की टारगेटेड किलिंग से कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ कश्मीरी हिंदुओं का पलायन शुरू हो गया है। अब तक 80 प्रतिशत लोग कश्मीर छोड़कर जम्मू शिफ्ट हो गए हैं।
यह दावा शनिवार (पांच जून, 2022) को बीजेपी नेता और जम्मू और कश्मीर में बीजेपी के राजनीतिक प्रतिक्रिया विभाग के प्रभारी अश्विनी चूंगरू ने किया।
चूंगरू ने अंग्रेजी अखबार “टेलीग्राफ” को बताया, “मेरा मानना है कि 2000 प्रवासी कश्मीरी पंडित कर्मचारी सपरिवार जम्मू पहुंच चुके हैं। वे मई की शुरुआत में चालू हुए इन आतंकी हमलों (हिंदुओं को निशाना बनाकर) से हैरान-परेशान हैं।”
बकौल चूंगरू, “मेरी समझ से दो हजार परिवार जम्मू पहुंच चुके हैं। वे आज, कल और उससे एक दिन पहले वहां पहुंचे थे। प्रतिबंधों के बावजूद लोग अपने आप निकल रहे हैं। वे ऐसा खुद से कर रहे हैं। प्रशासन पूरी तरह से फेल हो गया है।”
चूंगरू यह भी बोले, “कश्मीर में धर्मनिरपेक्षता या शांति का प्रदर्शन करने के लिए उनके समुदाय को “बलिदान के मेमनों” (“Sacrificial Lambs”) के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।” दरअसल, यह आंकड़ा प्रधानमंत्री की वापसी और पुनर्वास पैकेज के तहत साल 2010 से घाटी में काम करने वाले लगभग 6,000 पंडितों में से एक तिहाई है।
वहीँ श्रीनगर के अमित जाडू बताते हैं, निजी आवास वाले अधिकांश कर्मचारी जा चुके हैं। उन्हें कोई सुरक्षा नहीं मिली थी। हर जगह डर का माहौल है। जो लोग यहां हैं, वे घरों में बंद हैं। 10 साल में कर्मचारियों को सरकारी आवास नहीं मिल सका। अब 2023 का आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।
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