तिरंगे पर कोई पार्टी तिरंगे झंडे पर अपना चिन्ह अंकित करने की हिम्मत कैसे कर सकती है? लेकिन भाजपा ने यह जुर्रत की है :पत्रकार

तिरंगे पर भाजपा का चुनाव चिन्ह? यह कैसे संभव है? कोई पार्टी तिरंगे झंडे पर अपना चिन्ह अंकित करने की हिम्मत कैसे कर सकती है? लेकिन भाजपा ने यह जुर्रत की है।
महाराष्ट्र के परभणी में भाजपा कार्यकर्ता तिरंगे झंडे पर भाजपा का चिन्ह छपवा कर बांटते नजर आए।
यह सामान्य बात नहीं है कुछ दिन पहले भाजपा के ही एक मंत्री ने कहा था कि वे जल्दी ही तिरंगे झंडे को बदल देंगे और उसकी जगह भगवा फहराएंगे। आज इन देशद्रोहियों ने हमारे तिरंगे पर अपनी घिनौनी विचारधारा का निशान अंकित करने का दुस्साहस किया है।
क्या हमारे तिरंगे पर किसी पार्टी का चिन्ह अंकित हो सकता है? वह भी ऐसी विचारधारा वाली पार्टी जिसने तिरंगे का विरोध किया हो, उसे अशुभ बताया हो। ये लोग आज घर-घर तिरंगा अभियान चला रहे हैं और ऐसा लगता है कि यह अभियान सिर्फ तिरंगे को अपमानित करने के लिए चलाया गया है।
जगह-जगह से उल्टा तिरंगा फहराने की वीडियो आ रहे हैं। एक ऐसा भी वीडियो वायरल है जिसमें तिरंगे की जगह भाजपा का झंडा फहराया गया है। दिल्ली एनसीआर में जगह जगह सड़क के किनारे तिरंगा बेचा जा रहा है और बेचने वाले तिरंगे को कहीं जमीन पर पड़ा छोड़ दे रहे हैं, कहीं डंडे में बांधकर खड़ा कर रहे हैं और वह झुक जा रहा है। राष्ट्र का झंडा तब झुकाया जाता है जब राष्ट्र की कोई व्यापक क्षति हुई हो या राष्ट्रीय शोक की घोषणा हुई हो।
भाजपा ने हर घर तिरंगा अभियान चलाकर और तिरंगे के प्रोटोकॉल को बदलकर तिरंगे की गरिमा और मान सम्मान की छीछालेदर करने का फैसला किया है। इस समय हमारे देश के लोग उन्माद में यह नहीं देख पा रहे हैं कि वे जिस भी चीज से प्यार करते हैं भाजपा उसका राजनीतिक इस्तेमाल करती है। उसके लिए आपको उन्मादी बनाती है और उनकी उस प्रिय चीज को घिनौना बना देती है। भाजपा अब यही कृत्य राष्ट्रीय झंडे के साथ कर रही है।
तिरंगे पर भाजपा का निशान छपवाना अगर कोई गलती थी तो इस गलती के लिए क्या किसी को दंडित किया गया? इस गलती के लिए क्या किसी ने माफी मांगी? नहीं। यह जानबूझकर किया जा रहा है। यह कोई गलती नहीं है।
हर घर तिरंगा अभियान चलाने से पहले तिरंगे का प्रोटोकॉल बदल दिया गया और 140 करोड़ लोगों को तिरंगा फहराने के लिए उकसाया जा रहा है तो वह सिर्फ इसलिए कि तिरंगे को लेकर जो प्रोटोकॉल है वह न रह जाए और तिरंगा जगह जगह झुका हुआ, फटा हुआ, कटा हुआ या जैसी तैसी हालत में दिखने लगे।
अगर तिरंगे से राष्ट्रीय प्रतीक का दर्जा छीनना है तो पहले उसे इतना अपमानित करना पड़ेगा कि बाद में लोग उसके अपमान को कोई बड़ी बात ना मानें।
जब तिरंगे के लिए जान देनी थी तब यह लोग अंग्रेजों की दलाली कर रहे थे और भारतीय क्रांतिकारियों के साथ गद्दारी करके उनकी जासूसी कर रहे थे। आज एक सदी बाद जब इस तिरंगे के लिए लाखों लोग शहीद हो चुके हैं, लाखों लोग इस तिरंगे की आन बचाने के लिए इसमें लिपटकर सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं, तब इन अंग्रेजी जासूसों को याद आया है कि तिरंगे का सम्मान होना चाहिए और घर-घर तिरंगा फहराया जाना चाहिए।
लेकिन उसके बहाने हो क्या रहा है? 1947 में तिरंगे का विरोध करना और आज तिरंगे पर भाजपा का निशान छपवाना- दोनों एक बराबर के अपराध हैं। इस देश की जनता को चाहिए कि इस देशद्रोही कृत्य के लिए भाजपा को माफ न करे।

पत्रकार कृष्णा कांत के वाल से साभार

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