विकास दुबे की मां बेटे को आतंकवादी बोल रही है,लेकिन आज तक की ऐंकर को बदमाश दिख रहा है

नई दिल्ली :उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की मां भाई दीपू के साथ लखनऊ के कृष्णानगर स्थित आवास में रहती हैं। विकास की तलाश में जब पुलिस ने वहां दबिश दी तो उसकी मां सरला दुबे मिलीं।

पुलिस ने जब उनसे बात की तो हैरान करने वाला सच सामने आया। सरला दुबे ने कहा कि उनका बेटा अपराधी है। उसे बहुत समझाया कि यह रास्ता छोड़ दो लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी। उसने जो किया है उसके लिए मौत की सजा भी कम है। वो आतंकवादी है। उसे मार देना चाहिए। यह बोल वो फूटफूट कर रोने लगीं।

लेकिन कुछ गोदी मीडिया के पत्रकार उसे आतंकवादी नहीं बल्कि बदमाश और हिस्ट्रीशीटर बोला रहे हैं उन्हीं में से एक नाम चित्रा त्रिपाठी का है जो आज तक की ऐंकर हैं वह ट्विटर पर लिखती हैं बड़ी और दुखद खबर – बदमाशों के साथ मुठभेड़ में ,कानपुर में 8 पुलिसकर्मी शहीद

तो वहीं हर बात पर पाकिस्तान को याद करने वाले दीपक चौरसिया ट्विटर पर लिखते हैं कानपुर में बदमाशों ने पुलिस पर किया हमला, डीएसपी समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद. पुलिस की यह टीम हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए गई थी।

 

इन सब को लेकर पत्रकार श्याम मीरा सिंह अपने फ़ेसबुक पर लिखा 8 पुलिसकर्मियों के हत्यारे का नाम विकास दुबे है, चूंकि नाम में दुबे है इसलिए वह आतंकवादी न होकर “हिस्ट्रीशीटर” है, आतंकवादी जैसा सम्मानित प्रतीक पाने के लिए नाम में मुहम्मद” होना हमारे देश में पहली क्वालिफिकेशन है। लेकिन यदि हत्यारोपी के सरनेम में यादव होता तो अब तक कहीं से कहीं का तार उठाकर उसे सपा सरकार से जोड़ दिया गया होता, और यदि गलती से मुसलमान निकल गया होता तो अब तक सिमी के बैंक अकाउंट से उसका आधार कार्ड जुड़ चुका होता. फिर तो ये सोने पे सुहागा होता, आखिर मुसलमान टीवी मीडिया का फेवरेट टॉपिक है, लेकिन दुर्भाग्य से हत्यारोपी दुबे निकल आया तो अब किसी टीवी पर कोई डिबेट नहीं चलनी। क्योंकि दुबे जी हत्यारोपी हैं, चौबे जी सम्पादक हैं, त्रिवेदी जी रिपोर्टर हैं, चतुर्वेदी जी मालिक हैं, पांडे जी कर्मचारी हैं, शर्मा जी मंत्री हैं, द्विवेदी जी विधायक हैं, शुक्ला जी कार्यकर्ता हैं, भागवत जी सरसंघचालक हैं.यही तो है “वैदिकी हिंसा, हिंसा न भवति”

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