कर्नाटक के तुमकुरु जिले के एक निजी कॉलेज में एक अंग्रेजी लेक्चरर ने संस्थान के प्रशासन द्वारा कथित तौर पर अपना हिजाब हटाने के लिए कहने के बाद इस्तीफा दे दिया। 16 फरवरी को अपने त्याग पत्र में, लेक्चरर चांदिनी नाज़ ने आरोप लगाया कि जैन पीयू कॉलेज के प्रशासन ने उन्हें अपना हिजाब हटाने के लिए कहा था, जिसे वह पिछले तीन सालों से पहन रही थी।
नाज़ ने कहा, प्रिंसिपल ने मुझसे कहा कि मैं पढ़ाते समय हिजाब या कोई धार्मिक प्रतीक नहीं पहन सकती। लेकिन मैंने पिछले तीन सालों से हिजाब पहनकर पढ़ाया है। यह नया निर्णय मेरे स्वाभिमान पर आघात है। इसलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला किया है।
कर्नाटक में कई मुस्लिम छात्रा हिजाब पहनकर कक्षाओं में शामिल नहीं होने देने के बाद पिछले एक महीने से आंदोलन कर रही हैं। 5 फरवरी को कर्नाटक सरकार ने “समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने वाले” कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित किया था। 10 फरवरी को, उच्च न्यायालय की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कर्नाटक में छात्रों को अगले आदेश तक स्कूलों और कॉलेजों में “धार्मिक कपड़े” पहनने से रोक दिया।
हालांकि, अदालत का अंतरिम आदेश उन कॉलेजों के शिक्षकों या छात्रों पर लागू नहीं होता जिनके पास निर्धारित ड्रेस नहीं है। नाज ने बुधवार को कहा कि धर्म का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है जिसे कोई भी नकार नहीं सकता। मै प्रशासन के अलोकतांत्रिक कृत्य की निंदा करती हूं।
इस बीच नाज के आरोपों पर कॉलेज प्राचार्य केटी मंजूनाथ की प्रतिक्रिया आई हैं। मंजूनाथ ने दिप्रिंट को बताया कि नाज़ अंशकालिक लेक्चरर थीं और उन्होंने पुष्टि की कि वह हिजाब पहनकर कॉलेज आती थीं। मंजूनाथ ने कहा, “कर्नाटक उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के बाद, हमने उनसे स्टाफ रूम में हिजाब हटाने और कक्षा में जाने के लिए कहा, लेकिन वह ऐसा नहीं करना चाहती थी और इसलिए इस्तीफा दे दिया।
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